Value Education Meaning in Hindi | मूल्य शिक्षा की परिभाषा?

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Value Education Meaning in Hindi, importance of value education, मूल्य शिक्षा की परिभाषा-

हैलो दोस्तों आज के इस लेख में आप सभी का सवागत है। आज हम लोग एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक के उपर बात करेंगे जो कि है Value education

इस लेख में आप जानेंगे Value education meaning in hindi, Value education क्या होता है, Value Education के objectives,Value Education का concept,Value education का महत्व,Value education का nature, Value education की विशेषताएं, Value education के प्राकार, आदि।

Value education को हिन्दी में मूल्य शिक्षा कहा जाता है जो की हमारे अंदर नैतिक मूल्यों का विकास करती है।और साथ ही साथ हमारे व्यक्तित्व में भी विकास करती है।

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लॉरेंस कोहलबर्ग ने कहा कि “बच्चों को एक ऐसे माहौल में रहने की ज़रूरत है जो दिन-प्रतिदिन के संघर्षों की खुली और सार्वजनिक चर्चा के लिए अनुमति देता है।

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य हर इन्सान एवं समाज के कल्याण में सहयोग देना है। यह कल्याण उन्नति, प्रगति, विकास तथा कल्याण तभी संभव है ज

बकि समाज के सभी इन्सानो में जीवन के विभिन्न पक्षों में जैसे- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक आदि से सम्बन्धित आवश्यक मूल्यों का विकास हुआ हो। तो चलिए विस्तार से जानते है कि value education क्या है-

Table of Contents

Value education meaning in hindi-

Value education को हिन्दी में मूल्य-शिक्षा का नाम दिया गया है। मूल्य शिक्षा से मतलब है कि विद्यार्थियों में मानवता, देश-प्रेम व दूसरों के लिए मदद करना इत्यादि अनेक अच्छी भावनाओं का उत्पादन करना है।

मूल्यों के विकास में विद्यालय की आंतरिक व्यवस्था, शिक्षकों का आदर्श, आपसी सहयोग, बच्चों के प्रति भावनाओं आदि का विशेष महत्त्व है।

Value Education क्या होता है-

सी.वी. गुड के अनुसार- “मूल्य-शिक्षा उन सभी प्रक्रियाओं का समुच्चय है जिसके द्वारा एक व्यक्ति जिस समाज में रहता है उसमें सकारात्मक मूल्यों की योग्यता, दृष्टिकोण और व्यवहार के अन्य रूपों का विकास करता है।”

मूल्य शिक्षा व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास पर ज़ोर देती है ताकि उनका भविष्य संवर सके और कठिन परिस्थितियों से आसानी से निपटा जा सके। यह बच्चों को ढालता है, ताकि वे अपने सामाजिक, नैतिक और लोकतांत्रिक कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक संभालते हुए बदलते वातावरण से जुड़ जाएं।

Value Education के Objectives-

1. बालक को राष्ट्र की सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक परिस्थितियों के संबंध में जागरुक बनाना तथा उन परिस्थितियों में वांछित सुधार हेतु प्रोत्साहित करना है।
2. स्वयं के प्रति अपने मित्रों के प्रति मानवता, राष्ट्र, सभी धर्मों संस्कृतियों, जीवन, पर्यावरण आदि के प्रति समुचित दृष्टिकोण का विकास करना है।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण विभेदीकरण की शक्ति श्रम गरिमा समानता, बन्धुत्व, शान्ति, अहिंसा, प्रेम, साहस, सहयोग, परोपकार आदि मूलभूत गुणों का बालक में विकास करना है।
5. बालक को ‘उत्तरदायी नागरिक बनाने के लिए प्रशिक्षण देना है।
6. बालक को स्वयं को जानने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि वे स्वयं के प्रति आस्था स्थिर रख सकें है।
7. धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, समाजवाद, राष्ट्रीय एकता जैसे ‘राष्ट्रीय लक्ष्यों का ज्ञान प्राप्त करना है

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मूल्य शिक्षा का Concept-

जैसा कि हम जानते हैं कि मानव एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए शिक्षा मानव जीवन का आधार साबित होता है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व कार्य व्यक्ति एवं समाज के उत्थान व कल्याण में सहयोग देना है। यह उत्थान उन्नति, प्रगति, विकास तथा कल्याण तभी संभव है

जब समाज के सभी व्यक्तियों में जीवन के विभिन्न पक्षों में जैसे- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, नैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक आदि से सम्बन्धित आवश्यक मूल्यों का विकास हुआ हो।

Importance of Value Education-

मूल्य शिक्षा के महत्व कुछ इस प्रकार है-

  1. यह जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने और सफल होने के लिए आवश्यक किरदारों को विकसित करने में बहुत मदद करता है।
  2. यह आपकी पर्सनालिटी को सुधारता है और आपको जीवन और उसके संघर्षों के प्रति विनम्र और आशावादी बनाता है।
  3. आपको हर स्थिति में सही और सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर ले जाता है और आने वाली चुनौतियों और प्रतिस्पर्धा के लिए आपको मज़बूत बनाता है।
  4. यह छात्रों को उनके जीवन के उद्देश्य को जानने में मदद करता है और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सही रास्ता चुनने में मदद करता है।
  5. यह छात्रों को दूसरों के प्रति अधिक ज़िम्मेदार और समझदार बनाता है। जिससे कि वो अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए दूसरों की स्थितियों को समझने और उनके प्रति अधिक संवेदनशील बनने में सक्षम होते हैं।
  6. यह आगे आने वाली चुनौतियों और कम्पटीशन के लिए आपको मज़बूत करता है।
  7. यह करैक्टर का निर्माण करता है जो छात्रों को सफलता और आध्यात्मिक विकास की दिशा की ओर ले जाता है।
  8. यह हमारे शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं को विकसित करता है।
  9. यह आपको ढंग सिखाता है और भाईचारे की भावना पैदा करता है।
  10. यह देशभक्ति की भावना पैदा करता है और साथ ही साथ धार्मिक सहिष्णुता को भी विकसित करता है।
  11. यह हमारे जीवन में अनुशासन के महत्व को भी बताता है।
  12. यह हमारे अंदर समय के महत्व को समझने की क्षमता को विकसित करता है। 
  13. खेल के महत्व को समझना, भी मूल्य शिक्षा को समझने तथा रोचक ढंग से व्यक्तित्व के विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है।

Nature of Value Education-

मूल्य शिक्षा के स्वरूप को इस प्रकार बताया गया है-

  1. मूल्य एक अमूर्त संप्रत्यय है जिसका सम्बन्ध इन्सान के अन्तर्मन से होता है।
  2. मूल्य मनुष्य के व्यवहार को एक जगह नियन्त्रित करते हैं।
  3. मानव के अन्दर मूल्यों का विकास समाज की अलग-अलग क्रियाओं (सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक) में भाग लेने से होता है।
  4. व्यक्तियों द्वारा मूल्य पालन करने पर संतोष प्राप्त होता है।
  5. मूल्य की रक्षा के लिए लोग जान तक दे देते हैं।
  6. व्यक्ति, समाज और राष्ट्र सभी स्वयं के मूल्य की रक्षा करते हैं, किन्तु साथ ही आवश्यकता होने पर इसमें परिवर्तन भी करते हैं।
  7. मूल्य किसी समाज द्वारा माने गये नैतिक नियम, आदर्श, सिद्धान्त, विश्वास एवं व्यवहार मानदण्डों को व्यक्तियों द्वारा माना गया महत्त्व है।
  8. मूल्य मनुष्य को उचित-अनुचित, अच्छा-बुरा और कोई कार्य न करने का निर्णय लेने में सहयोग करते हैं।

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Value Education की विशेषताएं-

मूल्य शिक्षा की विशेषताएं कुछ इस प्रकार है-

  • मूल्य शिक्षा छात्रों को एक उत्तरदायी नागरिक बनने के लिए प्रशिक्षित करती है।
  • मूल्यों के सम्बन्ध में तीसरा तथ्य यह है कि ये समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं।
  • मूल्य समाज के अनेक विश्वास, आदर्श, सिद्धान्त, नैतिक नियम और व्यवहार के मानदण्ड होते हैं, व्यक्ति इनमें से कुछ को अधिक महत्त्व देता है और कुछ को कम। वह जिन्हें जितना ज़्यादा महत्त्व देता है, वह उसके लिए उतने ही अधिक शक्तिशाली मूल्य होते हैं।
  • मूल्य व्यक्ति के व्यवहार को नियन्त्रित एवं एक दिशा में कार्य करने के लिए तैयार करता हैं।

मूल्य शिक्षा के प्रकार-

प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा से लेकर तृतीयक शिक्षा तक विभिन्न स्तरों पर मूल्य शिक्षा को कैसे शामिल किया गया है, इसका जानने के लिए यहा पे मूल्य शिक्षा के प्रकारों के बारे में बताया गया है। जो एक छात्र को अपने संपूर्ण विकास को बेहतरीन बनाने के लिए इसे शामिल करना चाहिए।

प्रारंभिक आयु नैतिक और मूल्य शिक्षा-

भारत सहित दुनिया भर में मध्य और उच्च विद्यालय के पाठ्यक्रम में नैतिक विज्ञान या मूल्य शिक्षा का एक पाठ्यक्रम है। हालांकि, ये पाठ्यक्रम शायद ही कभी जीवन में मूल्यों के विकास और महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हैं,

बल्कि नैतिकता और स्वीकार्य व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। प्रारंभिक बचपन की शिक्षा के स्तर पर मूल्य शिक्षा के कुछ प्रकार को शामिल करना रचनात्मक हो सकता है।

प्रथम या द्वितीय वर्ष की मूल्य शिक्षा –

कुछ विश्वविद्यालयों ने पाठ्यक्रम शामिल करने या आवधिक कार्यशालाओं का आयोजन करने का प्रयास किया है जो मूल्य शिक्षा के महत्व को सिखाते हैं।

उनके करियर के लक्ष्य क्या हैं और दूसरों और पर्यावरण के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता के बारे में पुनर्विचार करने वाले छात्रों के संदर्भ में सफलता का उत्साहजनक स्तर रहा है।

वयस्कों के लिए कार्यशालाएँ-

चिंताजनक रूप से, जो लोग अपने पेशेवर करियर में केवल 4 से 5 साल तक रहे हैं, वे नौकरी की थकावट, असंतोष और निराशा के लक्षण दिखाना शुरू करते हैं। वयस्कों के लिए मूल्य शिक्षा का महत्व बहुत ही तेज़ी से बढ़ा है।

कई गैर-सरकारी फाउंडेशनों ने स्थानीय कार्यशालाओं का संचालन करना शुरू कर दिया है ताकि व्यक्ति अपने मुद्दों से निपट सकें और इस तरह के सवालों का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकें।

छात्र विनिमय कार्यक्रम-

यह छात्रों के बीच आपसदारी की भावना पैदा करने का एक और तरीका है। न केवल छात्र विनिमय कार्यक्रम संस्कृतियों की एक सारणी का पता लगाने में मदद करते हैं, बल्कि देशकी शिक्षा प्रणाली को समझने में भी मदद करते हैं।

सह पाठ्यक्रम गतिविधियां-

स्कूल में सह-पाठयक्रम गतिविधियों के माध्यम से मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना बच्चों में शारीरिक, मानसिक और अनुशासनात्मक मूल्यों को बढ़ाता है। इसके अलावा, कठपुतली , संगीत और रचनात्मक लेखन भी पूरे विकास में सहायता करते हैं।

मूल्य शिक्षा में शिक्षक की भूमिका क्या है?

माता-पिता के बाद गुरु को ही सबसे ऊपर माना गया है। गुरु अर्थात शिक्षक जो विद्यार्थी को आकार देकर एक योग्य व उपयोगी इन्सान बना देता है। गुरू किसी भी छात्र को ऐसी शिक्षा देकर एक बेहतर मनुष्य बना देता है। एक शिक्षक ही विद्यार्थी को समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्वों से रुबरु कराता है।

एक शिक्षक का सबसे मुख्य काम यह है कि वह अपने  विद्यार्थी को वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर शिक्षा दे। शिक्षा में परंपरा और नवीनता का मिश्रण होना चाहिये। वो विद्यार्थी को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रखे बल्कि उसे जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की भी शिक्षा दे।

विद्यार्थी तो एक गीली मिट्टी से समान होता है शिक्षक उसे जैसा ढालेगा वैसा ढल जायेगा। यहाँ पर शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। नैतिक मूल्यों की जो शिक्षा वो विद्यार्थी को देगा उसका प्रभाव विद्यार्थी पर जीवन पर्यंत बना रहेगा। यहीं से उसके चरित्र निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होगी। शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

मूल्य शिक्षा के कुछ सिद्धांत-

मूल्य शिक्षा के कुछ सिद्धांत इस प्रकार हैं-

1.सहानुभूति
2.समानता
3.सभी का सम्मान
4. स्वास्थ्य की देखभाल
5. गहन सोच
6. मूल्य आधारित शिक्षा के प्रकार

यदि शिक्षा का अर्थ निकालना, ग्रहण करना या अर्जित करना है, तो मूल्याधारित शिक्षा का अर्थ होगा जो मूल्य यानि कि सार या महत्व है, उसको निकालना या अर्जित करना। शिक्षा में व्यक्ति, समाज तथा राज्य के अनिवार्य तत्त्वों को शामिल किये जाने की आवश्यकता रहती है।

तब ही वह समग्र तथा पूर्ण शिक्षा हो पाती है। वास्तव में शिक्षा चरित्र के निर्माण का बहुत ही बड़ा साधन है।

स्कूल सिलेबस में मूल्य शिक्षा का महत्व-

स्कूल के सिलेबस में मूल्य शिक्षा की बहुत ही ज़्यादा आवश्यकता है और महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को बुनियादी नैतिकताएं सीखने में मदद करता है जो उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने के साथ-साथ मानव बनने के लिए आवश्यक हैं।

स्वामी विवेकानंद का मूल्य शिक्षा पर विचार?

विवेकानंद जी ने शैक्षिक मूल्यों पर जोर देते हुए कहा कि – “हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चारित्रिक विकास , मानसिक विकास हो सके और आत्मनिर्भर हो सके। शिक्षा से मनुष्य से सम्पूर्णता को प्राप्त करता है।”

नीचे इसके कुछ महत्व के बारे में बताया गया है-

मूल्य शिक्षा स्कूल के बच्चो के भविष्य को आकार देने और जीवन में उनके सही उद्देश्य को खोजने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

क्यो कि स्कूल हर बच्चे के सीखने की नींव रखता है, इसलिए स्कूल सिलेबस में मूल्य आधारित शिक्षा को जोड़ने से उन्हें अपनी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत से सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों को सीखने में मदद मिल सकती है।

स्कूल में एक अनुशासन के रूप में मूल्य शिक्षा भी उच्च स्कोर के लिए अवधारणाओं, सूत्रों और सिद्धांतों को रटने के बजाय मानवीय मूल्यों को सीखने पर अधिक केंद्रित हो सकती है। इस प्रकार, मूल्य शिक्षा में कहानी का उपयोग करना भी छात्रों को मानवीय मूल्यों की अनिवार्यता सीखने में मदद कर सकता है।

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Value Education Meaning in Hindi – यह भी पढ़े?

शिक्षा निश्चित रूप से अधूरी होगी अगर इसमें मूल्य-शिक्षा का महत्व शामिल नहीं होगा। जो हर बच्चे को अधिक दयालु, और सशक्त व्यक्ति बनने में मदद कर सकता है। और इस तरह हर बच्चे में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का पोषण कर सकता है।मूल्य-शिक्षा व्यक्ति की वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है।

इस प्रकार, मूल्य-शिक्षा, फलस्वरूप, शिक्षा का एक अभिन्न अंग है जिसे शैक्षिक प्रक्रिया से अलग नहीं किया जा सकता है शिक्षण मूल्यों की अवधारणा पर सदियों से बहस होती रही है। असहमति इस बात पर हुई है कि मूल्य शिक्षा को पहाड़ी आवश्यकता के कारण स्पष्ट रूप से पढ़ाया जाना चाहिए या क्या इसे शिक्षण प्रक्रिया में निहित किया जाना चाहिए।

ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कक्षाएं या पाठ्यक्रम शिक्षण मूल्यों में सफल नहीं हो सकते हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से मूल्य शिक्षा के महत्व को सिखा सकते हैं।

video credit by:- Learn to Know

लोगों ने यह भी पूछा (FAQ)

Q. वैल्यू एजुकेशन की क्या जरूरत है?

गुरुराजा ने साल 1978 के अनुसनधान में पाया अगर किसी बच्चे को बिना किसी शिक्षा के छोड़ दिया जाता यही तो वः अपने पुरे जीवन में किसी भी तरह के सुधर नहीं कर पता है

इसका मतलब है अगर बच्चे को शुरू से ही शिक्षा का बोझ दाल दिया जाता है तो इसमें वह अपने पुरे जीवन को जीने के लिए सक्ष्म हो जाता है इसलिए वैल्यू एजुकेशन एक अहम् भूमिका निभाता है

Q. मूल्य से आप क्या समझते हैं?

मूल्य शिक्षा से किसी भी मनुष्य की मानशिक विकास की बृदि के लिए और आदर सम्मान के गुणों की पहचान कर सके इसके अलावा भी इससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है

Q. मूल्य कितने प्रकार के होते हैं?

मूल्य शिक्षा को कुछ निम्न वर्गों में रखा गया है
आध्यात्मिक मूल्य
सामाजिक मूल्य
सांस्कृतिक मूल्य
नैतिक मूल्य
राजनीतिक मूल्य
अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य
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Q. मूल्य आधारित शिक्षा के उद्देश्य क्या है?

मूल्य शिक्षा के उद्देश्य निम्न भागो में बांटा गया है छात्रों को राष्ट्रीय लक्ष्यों जैसे
समाजवाद,
पंथ-निरपेक्षता,
राष्ट्रीय एकता एवं लोकतंत्र .
छात्रों को देश का जागरूक,
सम्भ्रान्त एवं उत्तरदायी नागरिक बनाने हेतु

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Conclusion:-

तो दोस्तों ये थी Value Education meaning in hindi के बारे में पूरी जानकारी। आशा करते हैं कि आप को हमारे इस लेख से काफी इन्फोर्मेशन मिली होगी। अगर यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर शेयर करे जिससे यह जानकारी अधिक लोगो तक पहुँच सके धन्यबाद

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